हमें एक घर बनाना था
ये हम क्या बना बैठे
कहीं मस्जिद बना बैठे
कहीं मन्दिर बना बैठे
परिंदों के यहाँ फिरकापरस्ती क्यों नहीं होती
कभी मन्दिर पे जा बैठे
कभी मस्जिद पे जा बैठे
read these lines printed on a pamphlet years before in Gwalior.
these lines are still fresh in my mind.....
Isn't it true?
1 comment:
I dunno wht to say...
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