अमीक क्या है? कौन है? कोई नहीं जानता
ये ना किसी संस्था का नाम है
ये ना चोरो का काम है
अमीक ना कोई शहर है, ना देश है
ना ये लोगो का कोई वेश है
मत है लोगो के बहुत से
कोई राक्षस से, कोई सुत से
कोई कहता है अमीक एक अमृत विशेष है
अमीय 'क' नाम इसका, येही अवशेष है
और येही बिगड़ कर 'अमीक' बन गया है
और भी लोगो के बहुत से इरादे
जब कमी खलती है लोगो को ज्यादा
और वो करता है जल्दी जल्दी कमी की पुकार
तब वो बन कर निकलता है कमी का हार
इसलिए अमीक एक कमी की बीमारी है
कुछ लोग इससे आम और ईख का सम्बन्ध बतलाते हैं
अमीक को आमीख (आम+ईख) का बिगड़ा बतलाते हैं
इसलिए अमीक दो शब्दों का मेल भी है
किसी का अंदाज़ बतलाता है
जो मीत ना हो किसी का, अमीत कहलाता है
और यही अमीत 'अमीक' बन जाता है
असलियत क्या है? कोई नहीं जानता
अमीक कौन? कोई नहीं पहचानता
मगर,
'अमीक' भी एक इंसा है
दिल से मगर वो नादा है
लिख बता है कविता खुद पर
शायद काव्य की ये इंतिहा है